आज हम आपको विधानसभा चुनाव कैसे होता है के बारे में बताने जा रहे हैं। कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.
भारतीय शासन प्रणाली की संघीय संरचना तीन-स्तरीय होती है, जिसमें इसका गठन संघ या केंद्र सरकार, सर्वोच्च कार्यकारी पद धारण करने वाले प्रथम स्तर के ही करते हैं. जिसने केंद्र सरकार अपनी कुछ शक्तियां राज्य सरकार को भी दे सकती हैं. उसके पश्चात राज्य सरकार उन शक्तियों से संघीय ढांचे में दूसरे स्तर पर का गठन करते हैं. जबकि सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के शासन के अनुसार राज्यों को कुछ विशेष कार्यकारी शक्तियां निहित होती है. दूसरे और अंतिम स्तर में सिर्फ नगर पालिका और पंचायत सम्मिलित होते हैं, जो स्थानीय स्तर के शासन में जुड़े हुए होते हैं.
भारत के संविधान के अनुसार भारत के प्रत्येक राज्य में एक ऐसी विधानसभा होनी चाहिए जो विधानसभा के विधायकों द्वारा संचालित की जाए. क्योंकि विधायक किसी 1 जिले के मतदाताओं द्वारा चुने गए लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं. और अगर इसको दूसरे शब्दों में कहें, तो विधानसभा चुनाव भारत के राज्यों में कराए जाने वाले राज्य स्तरीय चुनाव में आता है. इन चुनाव के माध्यम से प्रत्येक राज्यों की जनता अपने राज्य स्तर के शासन के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है. जिन्हें विधायक कहा जाता है.
विधानसभा का चुनाव कैसे होता है
विधानसभा को भारत के राज्यों के क्षेत्रों के रूप में विभाजित किया गया है, और इन क्षेत्रों में हर 5 वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद विधानसभा का चुनाव कराया जाता है. परंतु राज्यों की जनता के आधार पर सभी राज्यों में विधानसभा सीटों की संख्या एक समान नही होती है. और इन सीटों में होने वाले चुनाव को विधानसभा चुनाव कहते हैं. इस चुनाव में विभिन्न प्रकार की राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के साथ-साथ निर्दलीय पार्टियों के प्रत्याशी चुनाव में भाग लेते है. और हम आपको बता दें, कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा सीटों की कुल संख्या 403 है. और यह भारत के सबसे बड़े राज्य और और सबसे अधिक विधानसभा की सीटों वाला राज्य माना जाता है.
विधानसभा के चुनाव में भाग लेने हेतु पात्रता
- विधानसभा चुनाव में भाग लेने के लिए भाग लेने वाले व्यक्ति को भारत का नागरिक होना आवश्यक है.
- चुनाव में भाग लेने वाले व्यक्ति की आयु 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए.
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, चुनाव में भाग लेने वाले व्यक्ति को उस राज्य के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता होना चाहिए. जिसका वह प्रतिनिधित्व कर रहा हो.
- चुनाव में भाग लेने वाले व्यक्ति को किसी भी सरकारी पद पर नहीं होना चाहिए. ना ही वह सरकार की किसी सरकारी पद का लाभ प्राप्त करता है.
- चुनाव में भाग लेने वाले व्यक्ति को दिवालिया घोषित न किया गया हो तथा वह मानसिक रूप से पूर्णतया स्वस्थ होना चाहिए.
- पब्लिक रिप्रजेंटेशन एक्ट के अनुसार1951 में कहा गया है, कि कोई भी विधायक दोषी पाया गया और उसे अदालत द्वारा भी दोषी कह दिए जाने पर वह इस पद पर नहीं रह सकता.
विधानसभा का कार्यकाल
भारतीय संविधान के अनुसार विधानसभा के कार्यकाल की अवधि 5 साल तक की होती है और प्रत्येक 5 साल की अवधि पूर्ण हो जाने के बाद पुन: चुनाव का आयोजन किया जाता है. परंतु किसी राज्य के राज्यपाल को यह अधिकार होता है, कि वह किसी आपातकाल की स्थिति में विधानसभा का कार्यकाल एक बार मे 1 वर्ष के लिए बढ़ा सकते है. परंतु अगर ऐसी कोई आपातकाल स्थिति ना हुई, और सामान्य स्थिति रही तो 6 महीने के अंदर ही चुनाव का आयोजन कर दिया जाता है.
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको विधानसभा चुनाव कैसे होता है की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा। अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.
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