ट्यूबरकुलोसिस एक प्रकार का रोग है जिसे सामान्य भाषा में टीवी कहा जाता है. यह रोग शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करने में सक्षम होता है. टीवी रोग सबसे अधिक वोटरों को प्रभावित करता है यह रोग कोरोना की तरह फेफड़ों में होने वाला टीबी भी खांसी और छींक के द्वारा एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है. ट्यूबरकुलोसिस का खतरा उन लोगों को सबसे अधिक होता है जो जिन्हें पहले से कोई बड़ी बीमारी जैसे कि एड्स या डायबिटीज आदि होती है. साथ ही, जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है उन्हें भी इस बीमारी का खतरा अधिक होता है.
ट्यूबरक्लोसिस के प्रकार
ट्यूबरकुलोसिस मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं जिनके बारे में नीचे निम्नलिखित रुप में बताया गया है:-
लेटेंट ट्यूबरकुलोसिस
लेटेंट ट्यूबरकुलोसिस की स्थिति में बैक्टीरिया आपके शरीर में फैल जाते हैं, लेकिन आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली उसे सक्रिय नहीं होने देती है. लेटेंट ट्यूबरक्लोसिस के लक्षण आपको अनुभव नहीं होते हैं, और यह बीमारी के कारण नहीं फैलते हैं परंतु यदि, आपको लेटेंट ट्यूबरकुलोसिस है तो वह सक्रिय ट्यूबरकुलोसिस बन सकता है.
सक्रिय ट्यूबरकुलोसिस
सक्रिय ट्यूबरकुलोसिस की स्थिति में बैक्टीरिया आपके शरीर में विकसित होते रहते हैं और आपको इसके लक्षण भी अनुभव होता हैं. अगर आपको सक्रिय ट्यूबरकुलोसिस है तो यह बीमारी के कारण दूसरे में फैल सकती है.
ट्यूबरक्लोसिस के कारण
ट्यूबरकुलोसिस से पीड़ित व्यक्ति जब छींकता, खांसता और थूकता है तो उस व्यक्ति द्वारा छोड़ी गई सांस से वायु में टीबी के बैक्टीरिया फैल जाते हैं, और यह बैक्टीरिया कई घंटों तक वायु में जीवित रहते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क में आकर उन्हें आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं,
जब टीवी के बैक्टीरिया वायु के माध्यम से मनुष्य के फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं तो वह कई गुना बढ़ जाते हैं, और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने लगते हैं परंतु, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे बढ़ने से रोकती है, लेकिन जैसे-जैसे यह क्षमता कमजोर होती है, टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है.
ट्यूबरक्लोसिस के लक्षण
ट्यूबरक्लोसिस के लक्षण कई प्रकार के होते हैं जिनके बारे में नीचे निम्नलिखित रुप में बताया गया है
- तीन सप्ताह से अधिक समय तक खांसी होना
- सांस फूलना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- शाम के दौरान बुखार का बढ़ जाना
- सीने में तेज दर्द होना
- अचानक से वजन का घटना
- भूख में कमी आना
- बलगम के साथ खून आना
- फेफड़ों का संक्रमण होना
- लगातार खांसी आना
- अस्पष्टीकृत थकान होना
- बुखार आना
ट्यूबरक्लोसिस से कैसे बचें
ट्यूबरक्लोसिस के खतरे को कम कर के लिए कुछ उपाय नीचे निम्नलिखित रुप में बताए गए हैं जिनका पालन करके आप इस बीमारी से बच सकते हैं:-
- दो हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.
- जो व्यक्ति ट्यूबरकुलोसिस से पीड़ित है उसके नजदीक ना जाएं और अगर जाएं तो मास्क का उपयोग करें
- जो व्यक्ति ट्यूबरकुलोसिस से पीड़ित है उस व्यक्ति के बिस्तर रूमाल तौलिए आदि का उपयोग ना करें.
- यदि आपके आस-पास कोई खांस रहा है तो अपने मुंह को रुमाल से ढक लें और वहां से दूर हट जाएं.
- यदि आप ट्यूबरकुलोसिस से ग्रसित व्यक्ति से मिलने जा रहे हैं तो वापस आकर अपना हाथ सैनिटाइजर से धुले और साथ ही अपने कपड़े धुले.
और यदि आप इस रोग के शिकार में आ गए हैं तो विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम और फाइबर से भरपूर खाद्य-पदार्थों का सेवन करें, इससे रोग प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है. जिससे आपको इस रोग से लड़ने में सहायता मिलती है.