जब मांसपेशी या ऊतक कमजोर होकर फट जाती है या उसमें छेद हो जाता है और उसके अंदर का अंग उभर कर बाहर आ जाता है तब ऐसी स्थिति को एक सामान्य बीमारी हर्निया के नाम से जाना जाता है इस बीमारी से पीड़ित मरीज को चलते, दौड़ते या दैनिक जीवन के दूसरे कामों को करते समय दर्द होता है.
यह बीमारी ज्यादातर पेट में देखने को मिलता है, लेकिन यह जांघ के ऊपरी हिस्से, नाभि और कमर के आसपास भी हो सकता है. अधिकतर मामलों में हर्निया घातक नहीं होते हैं, लेकिन उन्हें इलाज की आवश्यकता होती है. हर्निया का एकमात्र इलाज सर्जरी है.
हर्निया रोग के प्रकार
हर्निया के प्रकार निम्नलिखित हैं:-
1. इनगुइनल हर्निया
इनगुइनल हर्निया सबसे सामान्य प्रकार की हर्निया होती है विशेषज्ञों के अनुसार यह हर्निया लगभग 70% हर्निया के मामलों में इनगुइनल हर्निया होती है इस स्थिति में पेट के निचले हिस्से की परत में छेद हो जाता है. और उस हिस्से की आंत बाहर आ जाती है.
2. हाइटल हर्निया
यह हर्निया 50 से अधिक उम्र के लोगों में ज्यादातर देखने को मिलती है इस बीमारी से गर्ड (गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स) पैदा होता है जिसके कारण पेट की सामग्री का रिसाव भोजन नलिका में होने लगता है जो आगे पेट में जलन का कारण बनता है.
3. अम्बिलिकल हर्निया
इस प्रकार की हर्निया 6 महीने से कम उम्र के शिशु में होती है इस बीमारी की स्थिति में आंत का उभार पेट की अंदरूनी परत के माध्यम से नाभि के पास पहुंच जाता है. जब शिशु रोता है तो अम्बिलिकल हर्निया के उभार को नाभि के पास स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.
4. इंसिजनल हर्निया
यह हर्निया ज्यादातर पेट में सर्जरी होने के बाद उत्पन्न में होती है और सर्जरी होने के बाद इसका खतरा अधिक होता है सर्जरी के दौरान जहां चीर-फाड़ की जाती है वहां और उसके आसपास की कमजोर मांसपेशियों पर इसका प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण इंसिजनल हर्निया हो सकता है.
5. स्पोर्ट्स हर्निया
पेट के निचले हिस्से और ग्रोइन में तनाव तथा किसी मुलायम उत्तक के फटने से स्पोर्ट्स हर्निया उत्पन्न होती है
हर्निया रोग के कारण
हर्निया के कारण नीचे निम्नलिखित रुप में विस्तार पूर्वक बताएं गए हैं:-
- उम्र बढ़ना
- चोट लगना
- गर्भवती होना
- मोटापा होना
- धूम्रपान करना
- वजन अधिक होना
- पुरानी खांसी होना
- पीसीओडी होना
- आनुवंशिक कारण
- पुरानी कब्ज होना
- हैवी व्यायाम करना
- भारी वजन उठाना
- मल्टीपल गर्भधारण होना
- सिस्टिक फाइब्रॉइड्स होना
- जन्म के दौरान शिशु का वजन कम होना
- पेट में तरल पदार्थ जमा होना
- सर्जरी के दौरान कोई जटिलता होना
हर्निया रोग के लक्षण
हर्निया के लक्षण निम्नलिखित रुप में नीचे बताए गए हैं:-
प्रभावित हिस्सा उभरा हुआ दिखाई देना
प्रभावित हिस्से को छूने पर हल्का दर्द होना
शरीर में भारीपन महसूस होना
देर तक खड़े रहने में परेशानी होना
मल-मूत्र त्याग करते समय कठिनाई होना
त्वचा के अंदर कुछ फुला-फुला महसूस करना
शरीर के किसी हिस्से से चर्बी का बाहर निकलना आदि.
हर्निया रोग का परीक्षण
हर्निया का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट करते हैं जिनके बारे में नीचे निम्नलिखित रुप में बताया गया है:-
- अल्ट्रासाउंड
- सिटी स्कैन
- एमआरआई
- एंडोस्कोपी
- गैस्ट्रोग्राफिन या बेरियम एक्स-रे
हर्निया रोग का इलाज
जैसा कि हमने अभी आपको बताया कि कुछ ऐसे मामले होते हैं जिनमें हर्निया का इलाज करवाने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि कुछ समय के दौरान यह अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन जब यह अपने आप ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर सर्जरी का चयन करते हैं.
सर्जरी ही हर्निया का एकमात्र उपचार है. जीवनशैली में बदलाव या दवाओं की सहायता से हर्निया के लक्षणों को बस कम किया जा सकता है. सर्जरी के दौरान डॉक्टर हर्निया को बाहर निकाल देते हैं. हर्निया की सर्जरी को दो तरह से किया जाता है. जिसमें ओपन सर्जरी और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शामिल हैं.