हाइड्रोसील पुरुष के अंडकोष में होने वाली सामान्य समस्याओं में से एक है इस समस्या में अंडकोष में द्रव यानी पानी जमा हो जाता है. हाइड्रोसील के कारण अंडकोष का आकार बढ़ जाता है. और उसमें दर्द होना शुरू हो जाता है.
चिकित्सक के अनुसार, छोटे बच्चों को हाइड्रोसील हो सकता है, लेकिन यह कुछ समय के अंदर अपने आप ठीक हो जाता है. हालांकि, वयस्कों में उपचार की आवश्यकता होती है. हाइड्रोसील का उपचार करने के लिए अंडकोष में जमा पानी को बाहर निकाला जाता है.
हाइड्रोसील अंडकोष में चोट लगने, नसों में सूजन आने या स्वास्थ्य से संबंधित किसी प्रकार की समस्या, ज्यादा शारीरिक संबंध बनाने, हेवी एक्सरसाइज करने, भारी वजन उठाने या कई अन्य कारणों से हो सकता है.
हाइड्रोसील के प्रकार
हाइड्रोसील दो प्रकार के होते हैं जिसके बारे में नीचे निम्नलिखित रुप में बताया गया है.
कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील –
कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील होने पर अंडकोष की थैली पूर्ण रूप से बंद नहीं होती है और इसमें सूजन एवं दर्द होता है. हर्निया से पीड़ित मरीज में कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील का खतरा अधिक होता है.
नॉन कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील –
नॉन कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील स्थिति में अंडकोष की थैली बंद होती है और बचा हुआ द्रव शरीर में जमा हो जाता है. इस प्रकार का हाइड्रोसील नवजात शिशुओं में अधिक देखने को मिलता है, और कुछ समय के अंदर यह अपने आप ही ठीक हो जाता है.
हाइड्रोसील के कारण
हाइड्रोसील के कारण नीचे निम्नलिखित रुप में बताए गए हैं:-
- अंडकोष में चोट लगना या सूजन आना
- यौन संचारित संक्रमण या इससे जुड़े अन्य संक्रमण होना
- हर्निया से पीड़ित पुरुष में हाइड्रोसील होने का खतरा होता है
- कुछ मामलों में हाइड्रोसील आनुवंशिक कारणों से भी हो सकता है
- प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित पुरुष में हाइड्रोसील की संभावना अधिक होती है
हाइड्रोसील के लक्षण
हाइड्रोसील के लक्षण निम्नलिखित हैं:-
- अंडकोष का आकार बढ़ना
- हाइड्रोसील में तेज दर्द होना
- हाइड्रोसील में सूजन होना
- शरीर का अस्वस्थ होना
- चलने फिरने में दर्द और असहजता होना
- उल्टी, कब्ज, दस्त और बुखार आना
- ज्ञानेन्द्रियों की नसें ढीली और कमजोर होना
- कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील के आकार में बदलाव आते रहना
हाइड्रोसील का उपचार
हाइड्रोसील के उपचार के लिए डॉक्टर मरीज का शारीरिक परीक्षण करते हैं और साथ ही कुछ जांच करने का सुझाव देते हैं.
शारीरिक परीक्षण में निम्न शामिल हैं:-
बढे हुए अंडकोष की जांच करना
जांच के दौरान, अंडकोष में दर्द की पुष्टि करना
इनगुइनल हर्निया की पुष्टि करने के लिए पेट और अंडकोष पर दबाव डालना
अंडकोष को तेज रोशनी में देखना, हाइड्रोसील होने पर वृषण यानी टेस्टिस के चारों तरफ तरल पदार्थ दिखाई देता है
हाइड्रोसील की जांच करने के लिए डॉक्टर खून और मूत्र परीक्षण एवं अल्ट्रासाउंड करने का सुझाव देते हैं.
खून और मूत्र परीक्षण
इन जांचों की मदद से डॉक्टर यह निर्धारित करते हैं कि मरीज को एपिडिडीमाइटिस जैसा संक्रमण तो नहीं है.
अल्ट्रासाउंड
अंडकोष में ट्यूमर और सूजन एवं हर्निया का पता लगाने के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड करने का सुझाव देते हैं.
हाइड्रोसील का उपचार
हाइड्रोसील का उपचार कई तरह से किया जाता है. इसमें मुख्य रूप से एस्पिरेशन और सर्जरी शामिल हैं. हाइड्रोसील की सर्जरी को हाइड्रोसिलोक्टोमी के नाम से भी जाना जाता है.
एस्पिरेशन के दौरान, डॉक्टर इंजेक्शन की मदद से अंडकोष में जमे द्रव को बाहर निकाल देते हैं, यह प्रक्रिया खत्म होने के बाद, डॉक्टर छेद को बंद करने के लिए स्क्लिरोजिंग नामक दवा को इंजेक्ट करते हैं.
ऐसा करने से दोबारा हाइड्रोसील होने का खतरा कम हो जाता है. हाइड्रोसील की सर्जरी के दौरान, डॉक्टर स्क्रोटम में छोटा सा कट लगाकर अंदर जमा हुए द्रव को बाहर निकाल देते हैं.
हाइड्रोसील की सर्जरी को पूरा होने में लगभर 20-30 मिनट का समय लगता है, सर्जरी ख़त्म होने के कुछ ही घंटों के बाद मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है.
हाइड्रोसील की सर्जरी के बाद मरीज को पूर्ण रूप से ठीक होने में लगभग 3-6 दिनों का समय लगता है.